देवघर देश के महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है | यहाँ पर सालों भर तीर्थयात्री देश के कोने-कोने से पूजा अर्चना करने आते हैं | शैवों एक शाक्तों का यह तीर्थ स्थल वैदिक कल से सुविख्यात है | यहाँ बाबा वैधनाथ मंदिर के आलावा अनेक तीर्थस्थल स्थित हैं | देवधर एक तीर्थस्थल होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध स्थल भी है | यहाँ के पर्यटक स्थल को देखने के लिए साल भर सैलानी आते रहते हैं | इसके बावजूद इसे राष्ट्रीय पर्यटनस्थल का दर्जा नहीं मिला है जानकारी हो की द्वादस ज्योतिर्लिंग में एक बार रावणेश्वर वैध्नद जो झारखण्ड के देवधर जिले में विराजमान है | बाबा वैधनाथ का यह मंदिर अति प्राचीन है | वैधनाथ को आत्मलिंग, महेश्वर्लिंग कमानालिंग रावणेश्वर महादेव श्री वैधनाथलिंग, नर्ग तत्पुरुष और बेन्गुनाथ के आठ नामों से जाना जाता है | पुराणों में देवधर को हृदय पीठ और चिता भूमि भी कहा गया है क्योंकि इसी स्थान पर माता पार्वती का हृदय गिरा था और और यहीं भगवन शिव ने उनका अंतिमसंस्कार किया था |
धार्मिक और अध्यात्मिक दृष्टीकोण से राष्ट्रीय स्तर अपर ख्याति प्राप्त पवित्र नगरी को झारखण्ड सरकार ने धार्मिक नगरी (छोटी-सिटी) घोषित किया है | मनोकामना लिंग के रूप में प्रसिद्ध बाबा वैधनाथ के दरवार में जो भी सच्चे हृदय से कमाना लेकर आता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है | यही कारण है की यहाँ प्रतिवर्ष देश-विदेश से लगभग दो करोड़ तीर्थयात्री आते हैं | सिर्फ सावन में श्रद्धालुओं की संख्या पचास लाख के आसपास रहती है श्रावणी मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है | कहते हैं कि त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने पवित्र सावन के महीने में ही विहार स्थित सुल्तानगंज से गंगाजल काँवर में भरकर भगवन भोले शंकर को अर्पित किया जाता था | कहा जाता है कि श्रावण में ही समुन्द्र मंथन हुआ था और मंथन के दौरान निकले विष को विषपान कर भगवन शंकर नीलकंठ कहलाये विष के प्रभाव को कम करने के लिए शिव शंकर ने अपने माथे पर अर्धचंद्र धारण किया | इतना ही नहीं सभी देवता शिव पर गंगाजल डालने लगे | और तभी से सावन के महीने में शिव भक्तों द्वारा शिवलिंग पर गंगा जल अर्पित करने के की परंपरा हुई | बाबाधाम के कण-कण में शिव विराजमान हैं| सावन के महीने में बाबा का दरवार काफी सुहाना हो जाता है | बाबा वैधनाथ ओ काँवर और काँवरिया अतिशय प्यारा है | बाबा के दरवार में वही आते हैं जिन्हें बैधनाथ बुलाते हैं | इनके दरवार में दुनिया से थककर जब कोई भक्त आता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है | सुलतानगंज से बाबाधाम की १०५ कि०मी० की काँवर यात्रा बहुत कठिन है लेकिन बाबा की कृपा से बच्चे,बूढ़े साथ-साथ शरीर से लाचार व्यक्ति भी हँसते-हँसते दरबार पंहुच जाते हैं | श्रद्धा और भक्ति का अनूठा मिशाल देखना है तो एक बार सावन के महीने में बाबा के दरवार आना होगा | ऐसी मान्यता है काशी स्थित विश्वनाथ की पूजा से मोक्ष मिलती है से मोक्ष मिलती है | महाकाल की पूजा से अकाल मृत्यु नहीं होती इसी प्रकार मल्लिकार्जुन एवं अन्य ज्योतिर्लिंग के पूजा की महत्ता है लेकिन विश्व में एकमात्र देवधर वैधनाथ ज्योतिर्लिंग है जिसके दर्शन मात्र से प्राणियों के सारे पाप धुल जाते हैं और उन्हें केवल्य की प्राप्ति होती है | महर्षि नारद ने हनुमान जी से कहा था की यही वह धाम जहाँ भोले शंकर पाप और पुण्य का विचार किये बगैर सभी प्राणियों को मोक्ष प्रदान करते हैं | मत्स्य पुराण में बाबा नगरी को आरोग्य प्रदान मन गया है | श्रावणी मेला आस्था देखते हुए झारखण्ड सरकार ने श्रद्धालुओं को सुविधा के लिए व्यापक बंदोबस्त किया है | पर्यटन के क्षेत्र को भी विकसित किया जा रहा है | झारखण्ड का प्रथम रोपवे नयनाभि राम त्रिकुट पर्वत पर बन रहा है | जो २००८ तक तैयार हो जाने की सम्भावना है मंदिर प्रबंधन बोर्ड तथा जिला प्रसाशन कांवडियों की सुविधा को ध्यान में रखकर सुलभ दर्शन को प्रतिबद्ध है | बाबा वैधनाथ की दिनचर्या अनुपम व अनमोल है| सुबह चार बजे प्रात कालीन पूजा में प्रधान पुजारी ज्योतिर्लिंग व षोड षोपचार पूजा करते हैं | शाम में ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार पूजा होता है | अंग्रेजी हुकूमत के समय से ही देवघर उपकार से कैदीयों द्वारा तैयार फूलों की सर्पमाला तथा मोर मुकुट बाबा को नित्य चढ़ाया जाता है |श्रद्धालुओं के दर्शन के बाद मंदिर का कपाट मेले को छोड़कर रात्रि नो बजे बंद हो जाते हैं |
इस बार इलाहाबाद बैंक की और से श्रद्धालुओं के लिए कांवरिया पथ में शिवर लगाया गया है| बस में शुद्ध पेजल की व्यवस्था है| टावर चोक पे सोंदर्यकर्ण का भी कम किया गया है| स्टेट बैंक की ओर से तीर्थयात्रीयों को विशेष सुविधा हेतु श्रावणी मेले में रेलवे स्टेशन पर ए. टी. एम का शुभारंभ किया हैं|
देवघर के नयनाभिराम पर्यटक स्थलों पर एक नजर
नोलखा मंदिर: देवघर में पथुरिया घाट की रानी चारुशीला ने गुरु श्री बालानंद जी भ्रमचारी के उपदेस से राधा- कृष्ण के इस भव्य मंदिर का लगभग ६० वर्ष पूर्व नौ लाख रुपये की लगत पर निर्माण कराया गया था|
त्रिकुट पहाड: देवघर से १८ किमी० दूर पूर्व दिशा में स्थित यह पर्वत अत्यंत रमणीक एवं मनोरम स्थल है| यहाँ प्राकर्तिक झरना एव शिव मंदिर दर्शनीय है| सरकार के स्तर से इस स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने हेतु रोपवे का निर्माण किया जा रहा है| जो झारखंड का पहला रोपवे होगा|
रामकृष्ण मिशन विद्यापीठ ; स्वामी रामकृष्ण परमहंस और उनके परम शिष्य स्वामी विवेकानंद के शिक्षा मूल्यों पर आधारित यह देश का विख्यात संसथान है| यहाँ संग्रहालय, चिडियाघर, एवं स्वामी रामकृष्ण परमहंस का कलात्मक भव्य मंदिर है|
नंदन पहाड ; देवघरके छोर पर पर यह एक रमणीक पहाड है, जहां से पूरा नगर दिखाई देता है| यह पर्यटको के मनोरंज के लिए आकर्षण का केन्द्र है |
रिखिया आश्रम : देवघर से ९ किमी० दूर उत्तर दिशा में विश्व विख्यात योग आश्रम शिवानन्द मठ योगाचार्य के सत्रों का आयोजन कर लोगो को नवजीवन देने का कार्य कर रहा है | यह आश्राम विश्व प्रशिद्ध योगाश्रम शिवानंद मठ, मुंगेर की नव स्थापित शाखा है| हर वर्ष यहाँ श्रीकृष्ण जन्मष्टमी पर्व एवं सीता कल्याण के अवसर पर शत चंडी महायज्ञ का आयोजन किया जाता है, देश विदेश के असंख्य शिष्य भाग लेते हैं|
सत्संग आश्रम :श्री श्री अनुकूलचंद ठाकुर द्वारा स्थापित यह आश्रम उनके अनुयायियों के लिय सबसे पवन स्थल है| इसका आदर्श आर्य धर्म एवं संस्कृति का प्रचार करना है|
त्रिकुठाचल पर्वत : देवघर से १८ किमी० दूर त्रिकुंठाचल पर्वत आकर्षक उपतीर्थ है| त्रिकुंठाचल पर महादेव का मंदिर है| वैधनाथ धाम से बासुकीनाथ की यात्रा के बीच त्रिकुंठाचल पडता है| यहाँ महर्षि दयानंद का भी आश्रम है| झारखंड के पहले रोपवे का निर्माण यहाँ से किया जा रहा है|
कैसे जाएँ बाबाधाम: देवघर विश्व प्रसिद्ध तीर्थ नगरी जो दिल्ली हावडा मुख्यरेल मार्ग के आसनसोल डिविजन अंतर्गत जसीडीह जंक्शन से ५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | जसीडीह से बाबाधाम के बिच सवारी गाड़ी चलती है| सड़क मार्ग से यह पावन नगरी जुड़ा है| सीधा कोई हवा सेवा नहीं है| सिर्फ रांची में हवाई अड्डा है जिसकी दुरी यहाँ से ३०० किलोमीटर है|
और जानकारी के लिए ई-मेल करें krishna@pathikworld.com